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National Jurists Conference Inauguration News from Shantivan, Abu Road:

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समाज को हेल्दी, वेल्दी बनाना है तो अध्यात्म अपनाना होगा – पूजाहारी
– दादी जी की गरिमामय उपस्थिति ने सभी को उमंग-उत्साह से भर दिया

– सभी न्यायविदों ने माना स्पिरिचुअल लॉ सर्वश्रेष्ठ है

आबू रोड, राजस्थान। ब्रह्माकुमारी संस्था के शांतिवन स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में संस्था के न्यायविद प्रभाग द्वारा आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा स्वस्थ और न्यायपूर्ण समाज विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन करते हुए उड़ीसा ह्युमन राइट्स कमीशन के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति एस.पूजाहारी ने कहा आज हम विकास करते-करते आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस की तरफ चले गए हैं। मनुष्य सिर्फ नॉलेज से नहीं चलता है उसके पास विवेक भी होना चाहिए। विवेक और बुद्धि के सामंजस्य से काम लेंगे तो हमारा कोई भी निर्णय गलत नहीं होगा। अंत के समय में परमात्मा का शरण ही आपके काम में आयेगा, नॉलेज नहीं। आध्यात्मिकता सबके अंदर है उसे सिर्फ जागृत करने की आवश्यकता है। हम किस प्रकार परमात्मा से जुड़ सकते हैं वो हमें अध्यात्म सिखाता है। अध्यात्म से ही समाज हेल्दी और वेल्दी बन सकता है। लॉफुल सोसायटी बनाने के लिए स्प्रिचुअलिटी को जीवन में धारण करना होगा।

इसलिए जीवन को परिवर्तन करने की आवश्यकता है – संतोष दीदी

संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी संतोष दीदी ने कहा आज देश सहित पुरे विश्व की जो लॉ एण्ड ऑर्डर है वो प्रैक्टिकल में कहां तक आ रहे हैं। दिन प्रतिदिन ये हालतें और खराब होनी है। हम सभी की भी यही ईच्छा है सारे विश्व में भारत की जिस संस्कृति का गायन है उस संस्कृति को हम फिर से स्थापन करें। फिर से हमारी सोसायटी वो वापस हेल्दी, वेल्दी और हैप्पी बन जाएं। हरेक व्यक्ति चाहे वो किसी भी प्रोफेशनल का हो सबकी यही कामना है कि हमारा जो समाज है वो सदा सुखी और समृद्ध रहे और आदर्श रहे। अगर समाज को सुधारना है तो पहले हमें स्वयं से प्रारंभ करना होगा। इसलिए हमें अपने जीवन को परिवर्तन करने की आवश्यकता है।

अपने में सारे लॉ को समेटे हुए है – बृजमोहन

संस्था के अतिरिक्त महासचिव व राजनीति प्रभाग के चेयरपर्सन राजयोगी बृजमोहन भाई ने कहा कि मानव ने समाज सुधार के लिए अनेकानेक नियम कानून बनाए हैं। जबकि आध्यात्मिक दुनिया में एक स्पिरिचुअल लॉ है जो कर्म के अनुसार है। लॉ ऑफ कर्मा अपने में सारे लॉ को समेटे हुए है। लॉ ऑफ कर्मा बहुत सिम्पल है जो करेगा सो पाएगा। जितना करेगा उतना पाएगा और जैसा करेगा वैसा पाएगा। यह स्पिरिचुअल लॉ है। अन्य जितने भी कानून हैं वो गलती करने की, जुर्म करने की, अपराध करने की सजा देते हैं लेकिन अगर कोई अच्छा काम करे तो उसका ईनाम नहीं देते। ऐसा कोई कोर्ट नहीं है जहां कोई अच्छा काम करने वाला जाए और कोर्ट कहे कि आपने बहुत अच्छा काम किया आपको ईनाम भी दिया जाता है। ये कानून वन साइडेड हैं जो गलती करने की सिर्फ सजा ही देते हैं। उन कानूनों को तोड़ा जा सकता है लेकिन स्प्रीलिचुअल कानून को तोड़ा नहीं जा सकता है।

न्याय भी वैल्यू के आधार से ही होता है – पुष्पा दीदी

न्यायविद प्रभाग की चेयरपर्सन राजयोगिनी पुष्पा दीदी ने कहा कि आज मानव की कमजोरी इच्छा और तृष्णा के रूप में बदल गई है तो मानव जीवन सुखी कैसे हो सकता है। आध्यात्मिकता हमें यही सिखाती है कि हमें जीवन को किस प्रकार से नियंत्रित करना है। मानवीय मूल्य और दैवी गुण उसका आधार है। देखा जाए तो न्याय भी वैल्यू के आधार से ही होता है।

धर्म और अध्यात्म के भेद को समझना आवश्यक – राठी

सभी अतिथियों का शब्दों से स्वागत करते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश व ज्यूरिष्ट प्रभाग के वाइस चेयरपर्सन न्यायमूर्ति बी.एल.राठी ने कहा आज के समाज में कोई भी सुखी नहीं है। आज समाज में जितने भी द्वंद चल रहे हैं ये सब मन की उपज है। यदि हम मन को सही समय पर हील नहीं करेंगे तो वही बीमारी मन से होते हुए पूरे शरीर में फैल जाती है। आज यही सारे विश्व का हाल है। मन को हम सिर्फ आध्यात्मिकता के द्वारा ही हील कर सकते हैं। हमें धर्म को भी समझना होगा और अध्यात्म को भी समझना होगा तभी हम इसमें अंतर कर पाएंगे।

इन्होंने भी दी शुभकामनाएं

इस कार्यक्रम को मुम्बई से पधारी ज्यूरिट प्रभाग की नेशनल क्वाडिनेटर डॉ.बीके रश्मि ओझा, पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायाधीश ए.एन.जिंदल, नई दिल्ली से आए डीमीरा फ्राइट लिंकर्स प्र.लि. के डायरेक्टर जगत किशोर प्रसाद, जयपुर के एडवोकेट बीके संदीप अग्रवाल ने भी संबोधित किया और अपनी शुभकामनाएं दी। सभी अतिथियों को राजयोग के द्वारा गहन शांति की अनुभूति ज्यूरिष्ट प्रभाग की नेशनल क्वाडिनेटर बीके लता अग्रवाल ने कराया तथा अतिथियों का अभार प्रगट उड़ीसा के ज्यूरिष्ट प्रभाग के नेशनल क्वाडिनेटर डॉ.बीके नाथमल भाई ने किया और मंच का कुशल संचालन ज्यूरिष्ट प्रभाग की हेडक्वाटर क्वाडिनेटर बीके श्रद्धा बहन ने किया।

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Live: National Jurists Conference – Part 1 | 10.00 am | Sat, 15-03-25 | Shanti Sarovar Hyd

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Live: National Jurists Conference – Part 1 | 10.00 am | Sat, 15-03-25 | Shanti Sarovar Hyd

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LIVE Jurists wing Reception Session || 12th Sept.2024 || Conference Hall, 05.30 pm

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Reception Session || 12th Sept.2024 || Conference Hall, 05.30 pm

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अखिल भारतीय न्यायविद सम्मेलन का शुभारम्भ- Jurists Conference Inaugurated

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माउंट आबू ज्ञान सरोवर 07 जून 2024.
आज ज्ञान सरोवर के हार्मनी हाल में राजयोग एजुकेशन & रिसर्च फाउंडेशन की भगिनी संस्था ब्रह्माकुमारीज न्यायविद प्रभाग द्वारा एक अखिल भारतीय  न्याय विद सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन का विषय था, आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा न्यायविदों का आंतरिक संवर्धन. इस सम्मेलन मे इस विषय पर  गंभीर चर्चा हुई. इस सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में हाई कोर्ट के न्याय मूर्तियों तथा अनेक एडवोकेट्स ने भाग लिया. दीप प्रज्वलन द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन संपन्न किया गया.
 संस्थान के अतिरिक्त महासचिव राज योगी बृजमोहन भाई ने इस सम्मेलन में अध्यक्ष के रूप में अपना सार गर्भित वक्तव्य रखा. आपने कहा कि परमपिता परमात्मा सर्वोच्च न्यायामूर्ति हैं. आप सभी न्यायाधीश परमपिता परमात्मा के प्रतिनिधि हैं इस दुनिया में. आप लोगों के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी है. आपको अनेक लोगों को न्याय प्रदान करना है. यह कोई आसान बात नहीं है. बल्कि इसमें बहुत बड़ी चुनौतियां हैं. आज की दुनिया में कोर्ट के अंदर जितने भी मामले हैं, वे सारे के सारे मामले पांच कारणों  से उत्पन्न हुए हैं. वह कारण है मनुष्य के अंदर समया हुआ पांच विकार. अगर लोग इन पांच कारणों से मुक्त हो जाए तो  किसी प्रकार की समस्या कोर्ट के अंदर नहीं रहेगी. तब दुनिया में फैसलों के लिए कोर्ट की भी जरूरत नहीं होगी न्याय मूर्तियों की भी जरूरत नहीं होगी. हम सभी को अपने आंतरिक संवर्धन के लिए परमात्मा की शरण मेंआना ही पड़ता है. आत्मा के अंदर ईश्वरीय  गुणों  के समावेश से हम संसार को अंधकार से प्रकाश की ओर लेकर जा सकते हैं. सभी पधारे हुए न्याय विदों का बहुत-बहुत साधुवाद है क्योंकि आपके ऊपर में वह जिम्मेवारी है जो परमपिता परमात्मा सुप्रीम जज की जिम्मेवारी है.
 ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की संयुक्त मुख्य  प्रशासिका  राज योगिनी  सुदेश दीदी ने भी इस सम्मेलन को अपना आशीर्वचन दिया. कहा,पधारे हुए सारे न्याय विद प्रकाण्ड पंडित है विद्वान है. आप जरूरतमंदों को न्याय प्रदान करते हैं. अध्यात्म जब वास्तविक स्वरूप में हमारे अंदर स्थान लेता है तब हमारी चेतना जग जाती है. जगी हुई चेतना मूल्य से भरपूर होती है. एक समय ऐसा था जब सभी की चेतना जगी हुई थी. वहां किसी न्याय मूर्ति की जरूरत ही नहीं थी. सभी सुखी थे शांत थे आनंद में जीवन व्यतीत करते थे. आंतरिक दिव्यता प्राप्त करने के लिए न्याय मूर्तियों को परमात्मा की ईश्वरीयता धारण करना है. अपने मन में परमपिता परमात्मा को स्थान देकर, उनके गुणों का निरंतर स्मरण से  हम जीवन को दिव्य बना सकते हैं.
 आज के इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री आर के पटनायक ने भी अपने विचार रखें. आपने ब्रह्माकुमारीज़  को एक सुंदर आयोजन के लिए धन्यवाद दिया. आपने कहा कि मैं इस परिसर में आकर शब्द विहीन हो गया हूं. आपने कहा कि मैंनें इस बात को बहुत करीब से अनुभव किया है कि जीवन में हर प्रकार की सफलता प्राप्ति के बावजूद ऐसे अनेक मौके आते हैं जब जीवन पूरा खाली-खाली लगता है. वैसे मौकों पर आध्यात्मिकता की शरण लेकर उस खालीपन को भर सकते हैं. न्याय विदों के और पूरी दुनिया के आंतरिक संवर्धन के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण ही एकमात्र मार्ग है.
 आध्यात्मिकता की शरण में आने पर सकारात्मक रूपांतरण की प्रक्रिया शुरू होती है. मैं महसूस कर रहा हूं कि मेरा रूपांतरण प्रारंभ हो चुका है. मैंने यह अभी महसूस किया है कि किसी अन्य को न्याय देना आसान है मगर स्वयं को न्याय देना काफी कठिन है.
 ब्रह्मा कुमारीज न्यायविद प्रभाग की अध्यक्षा राज योगिनी  पुष्पा दीदी ने भी अपने विचार रखें. आपने कहा कि समाज में आज अध्यात्म लुप्त  हो गया है.  मानव मात्र को आध्यात्मिक सशक्तिकरण का हक है. एक सुंदर समाज के लिए सुखमय और शांत समाज के लिए सभी का  आध्यात्मिक रूप से सशक्त होना अनिवार्य है.
 न्याय प्रदान करने वाली अथॉरिटी हमारे न्याय मूर्ति अपने आंतरिक संवर्धन से समाज को सकारात्मक दिशा दे सकेंगे.
 उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शशिकांत मिश्रा ने कहा कि आज़ मैं आप सभी आयोजकों की आंतरिक दिव्यता को नमन करता हूं. आंतरिक बदलाव से ही हम सभी का आध्यात्मिक उत्थान होगा. हम ऐसा भी कह  सकते हैं कि आध्यात्मिक उत्थान से ही हमारा आंतरिक बदलाव आएगा. स्वयं को शरीर  मानने और समझने से पापाचार होता है. मैं एक आत्मा हूं और मैं इस शरीर का संचालन करने वाला हूं, यह आध्यात्मिक भाव है. नकारात्मकता से सकारात्मक की ओर ले जाने के लिए यही भाव होना अनिवार्य है. परमानंद प्राप्ति का यही एक मार्ग है.
 उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आदित्य कुमार महापात्र ने भी विचार प्रकट किए. आपने बताया कि सभी प्रकार की आध्यात्मिकता का मूल है गीता. स्वयं से संपर्क ही आध्यात्मिकता है. सकारात्मक बने रहना ही आध्यात्मिकता है. यही हमारे जीवन का लक्ष्य भी होना चाहिए. वर्तमान में बने रहना और सभी प्रकार की नकारात्मकता से बचने का प्रयत्न करना श्रेष्ठ आध्यात्मिकता है. आपने कहा हम न्याय विदों को प्रसन्नता होगी जब ऐसा दिन आएगा जहां न्यायमूर्तियों की कोर्ट की जरूरत ना रहे.
 तेलंगाना से पधारी हुई न्याय मूर्ति सूर्यापल्ली नंदा ने भी अपने विचार विशिष्ट अतिथि के रूप में रखें.
 आपने कहा कि ईश्वर की आशीर्वाद से मैं इस सम्मेलन में भागीदार बनी हूं. आध्यात्मिकता दिशा निर्देश देने वाला प्रकाश है. विश्व कल्याण के लिए आध्यात्मिकता  की जरूरत है. अध्यात्म से दूर हटकर भौतिकवाद का गुलाम बनना विनाशक होगा. आंतरिक अध्यात्म से ही हम खुद को और संसार को शांति प्रदान कर पाएंगे.
 ब्रह्मा कुमारीज न्यायविद  प्रभाग़  की नेशनल कोऑर्डिनेटर राजयोगिनी लता बहन ने पधारे हुए सभी महानुभावों को राजयोग पर प्रकाशित करते हुए ध्यान के अभ्यास द्वारा  शांति तथा आनंद की भी अनुभूति कराई.
 ब्रह्मा कुमारीज न्याय विद  प्रभाग़  की नेशनल कोऑर्डिनेटर डॉक्टर रश्मि ओझा ने इस सम्मेलन के एम एंड ऑब्जेक्ट पर प्रकाश डाला. आपने बताया कि यह सम्मेलन आध्यात्मिकता के  सशक्तिकरण से हमारे आंतरिक अमूर्त के संवर्धन का सम्मेलन है. परमात्मा के प्रति प्रेम और स्नेह की अनुपस्थिति ही नकारात्मकता है.
 परमात्मा के साथ अपना हार्दिक संपर्क स्थापित करके हम आंतरिक संवर्धन कर पाएंगे. ब्रह्माकुमारी न्याय विद  प्रभाग के उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति बी डी राठी ने पधारे हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया और सभी का आह्वान किया कि अपना आंतरिक संवर्धन करने के लिए आध्यात्मिक बने. ब्रह्मा कुमार नथमल भाई ने पधारे हुए अतिथियों को धन्यवाद दिया. इस कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी श्रद्धा  बहन ने किया. ब्रह्माकुमारी श्रद्धा बहन ब्रह्माकुमारीज़ न्याय विद  प्रभाग़  की मुख्यालय संयोजक है.
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