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LIVE 18-10-2020, 10.30 am : Online Webinar by Jurist Wing
 
																								
												
												
											
The Jurist wing of RERF is going to organise an online webinar on 18 October 2020 at 10.30 am on the subject “Role of Jurist in Present Scenario”
In the webinar sister Shivani would be the main speaker along with Justice Sri. E. Eishwaraiah and BK B.L. Maheswari, the Chairperson of theJurist Wing.
The schedule of the program is as follows:
10.30 am: Meditation Song
10.35 am: Speech by the Hon’ble Mr. Justice V. Eshwaraiah (Retd)
10.55 am: Speech by B.K B.L.Maheshwari , Chairperson, Jurist Wing
11.10 am: Speech by BK Shivani
Join Zoom meeting
Meeting ID : 935 3781 0832
Jurist wing
न्यायविदों के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ- Inauguration of National Jurist Conference in ORC
 
														– बिना विवेक के न्याय केवल एक मशीन की तरह है – जस्टिस मिनी पुष्करना
– न्यायविदों के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ
– ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के न्यायविद प्रभाग ने किया आयोजन
– न्यायविद प्रभाग द्वारा वैल्यूज बेस्ड जस्टिस: द सोल ऑफ लॉ अभियान का भी हुआ शुभारम्भ
गुरुग्राम, 04 अक्टूबर 2025
विजडम का अर्थ सबके प्रति प्यार और करुणा का भाव है। समाज में एक दूसरे के लिए सम्मान की भावना जरूरी है। उक्त विचार दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश मिनी पुष्करना ने व्यक्त किए। ब्रह्माकुमारीज़ के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय सम्मेलन के शुभारम्भ में उन्होंने ये बात रखी। दादी प्रकाशमणी सभागार में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए उन्होंने कहा कि न्याय  बिना विवेक के एक मशीन की तरह है। और विजडम बिना न्याय के दिशा रहित है। न्याय हमें आश्वस्त करता है। महत्वाकांक्षा के साथ जीने का अवसर देता है। न्याय के लिए केवल कानून ही नहीं बल्कि प्यार और करुणा भी जरूरी है। लेकिन समय और सभ्यता के अनुसार न्याय बदलता चला गया। न्याय का अर्थ पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखना है। लॉ का अर्थ किसी को बांधना नहीं बल्कि सामाजिक समरसता बनाए रखना है।
ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि हमारी संस्कृति में विजडम का स्थान सर्वोपरि रहा है। उन्होंने कहा कि भारत आध्यात्मिकता में विश्व गुरु है। विवेक का उपयोग अनिवार्य है। हमें विवेक की प्रवृत्ति को जागृत करना है। उन्होंने कहा कि हमारे कर्म सबसे बड़े जज होते हैं। न्याय संगत होकर अपने कार्य को निमित भाव के साथ करना ही विजडम है। विजडम से समदर्शिता आती है।
आंध्र प्रदेश, उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वी. ईश्वरैया ने कहा कि न्याय का अर्थ सच्चाई और विश्वास है। न्याय समाज में समानता, एकता और भाईचारा स्थापित करता है। लेकिन वर्तमान समय न्यायिक प्रक्रिया में काफी मुश्किलें आ गई हैं। जस्टिस ईश्वरैया ने कहा कि वो काफी समय से राजयोग का अभ्यास कर रहे हैं। योग से उनके अंदर एक अद्भुत परिवर्तन हुआ। जिस कारण जो भी निर्णय लिए उनमें पारदर्शिता और संतुष्टता का अनुभव किया।
प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी बीके पुष्पा दीदी ने कहा कि सत्यता सबसे बड़ा गुण है। न्याय में इस गुण की महत्वपूर्ण भूमिका है। विवेकपूर्ण निर्णय तभी संभव है, जब हम आध्यात्मिक रूप से सशक्त हों। आध्यात्मिकता हमें आंतरिक रूप से मजबूत करती है। हमारी आंतरिक शक्ति हमें सही निर्णय लेने के लिए प्रेरित करती है। जब हम अंतरात्मा की आवाज पर निर्णय लेते हैं, तब भयमुक्त होते हैं।
मध्य प्रदेश, उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं संस्थान के न्यायिक प्रभाग के उपाध्यक्ष माननीय बी. डी. राठी ने स्वागत वक्तव्य दिया। जस्टिस राठी ने कहा कि न्यायिक क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। न्याय वो है जिसमें रहम, दया और करुणा हो। न्याय वो है जो दिव्य विवेक से किया जाए। न्यायविद प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक बीके नथमल ने प्रभाग के द्वारा की जा रही गतिविधि की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रभाग का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोगों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त करना है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए. आर. मसूदी ने कहा कि न्याय के तराजू का संतुलन जरूरी है। जिसके लिए स्व-अनुभूति की आवश्यकता है। जस्टिस मसूदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान जाति धर्म से ऊपर उठकर मानवता के लिए कार्य कर रहा है। यहां आकर उन्हें सच्चा सेवाभाव देखने को मिलता है। जीवन को सुख-शांति सम्पन्न बनाने के लिए राजयोग जरूरी है।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य राजवीर सिंह वर्मा ने कहा कि आज तथ्य का न्याय होता है, सत्य का नहीं। इसलिए न्याय के साथ आध्यात्मिक गुणों का समावेश जरूरी है। आत्म चिंतन और आत्म शुद्धि ही सद् विवेक का आधार है। ओआरसी के वित्त विभाग के प्रबंधक बीके राजेंद्र ने कार्यक्रम के अंत में सबका आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर न्यायविद प्रभाग द्वारा वैल्यूज बेस्ड जस्टिस: द सोल ऑफ लॉ अभियान का भी शुभारम्भ किया गया। ये अभियान राष्ट्रीय स्तर पर 15 मार्च 2026 तक चलेगा। जिसके अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोगों को आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति जागृत किया जाएगा।
माउंट आबू से पधारी प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके लता अग्रवाल ने सभी को राजयोग के अभ्यास से शांति की गहन अनुभूति कराई। मंच संचालन बीके श्रद्धा एवं बीके येशु ने किया। कार्यक्रम में न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े 450 से भी अधिक लोगों ने शिरकत की।
फोटो कैप्शन:01: भोराकलां, ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संस्थान के न्यायिक प्रभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन का दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ करते हुए राजयोगिनी आशा दीदी, राजयोगिनी पुष्पा दीदी, दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश मिनी पुष्करना, आंध्र प्रदेश, उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वी. ईश्वरैया, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी.डी. राठी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए.आर. मसूदी, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य राजवीर सिंह वर्मा, बीके लता, बीके नथमल एवं अन्य।
फोटो कैप्शन:02: भोराकलां, ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संस्थान के न्यायिक प्रभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश मिनी पुष्करना।
फोटो कैप्शन:04: भोराकलां, ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संस्थान के न्यायिक प्रभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में आंध्र प्रदेश, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश वी. ईश्वरैया।
फोटो कैप्शन:05: भोराकलां, ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संस्थान के न्यायिक प्रभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए मध्य प्रदेश, उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी.डी.राठी।
फोटो कैप्शन:06: भोराकलां, ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संस्थान के न्यायिक प्रभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए.आर. मसूदी।
फोटो कैप्शन:07: भोराकलां, ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संस्थान के न्यायिक प्रभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य राजवीर सिंह वर्मा
फोटो कैप्शन:08: भोराकलां, ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संस्थान के न्यायिक प्रभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में राजयोगिनी आशा दीदी
फोटो कैप्शन:09: भोराकलां, ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संस्थान के न्यायिक प्रभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए राजयोगिनी पुष्पा दीदी
फोटो कैप्शन:10: भोराकलां, ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संस्थान के न्यायिक प्रभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में न्यायविद प्रभाग द्वारा वैल्यूज बेस्ड जस्टिस: द सोल ऑफ लॉ अभियान का शुभारम्भ करते हुए।
फोटो कैप्शन:12: भोराकलां, ओम शांति रिट्रीट सेंटर में संस्थान के न्यायिक प्रभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में उपस्थित न्यायविद।
Jurist wing
National Jurists Conference Inauguration News from Shantivan, Abu Road:
 
														– सभी न्यायविदों ने माना स्पिरिचुअल लॉ सर्वश्रेष्ठ है
आबू रोड, राजस्थान। ब्रह्माकुमारी संस्था के शांतिवन स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में संस्था के न्यायविद प्रभाग द्वारा आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा स्वस्थ और न्यायपूर्ण समाज विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन करते हुए उड़ीसा ह्युमन राइट्स कमीशन के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति एस.पूजाहारी ने कहा आज हम विकास करते-करते आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस की तरफ चले गए हैं। मनुष्य सिर्फ नॉलेज से नहीं चलता है उसके पास विवेक भी होना चाहिए। विवेक और बुद्धि के सामंजस्य से काम लेंगे तो हमारा कोई भी निर्णय गलत नहीं होगा। अंत के समय में परमात्मा का शरण ही आपके काम में आयेगा, नॉलेज नहीं। आध्यात्मिकता सबके अंदर है उसे सिर्फ जागृत करने की आवश्यकता है। हम किस प्रकार परमात्मा से जुड़ सकते हैं वो हमें अध्यात्म सिखाता है। अध्यात्म से ही समाज हेल्दी और वेल्दी बन सकता है। लॉफुल सोसायटी बनाने के लिए स्प्रिचुअलिटी को जीवन में धारण करना होगा।
इसलिए जीवन को परिवर्तन करने की आवश्यकता है – संतोष दीदी
संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी संतोष दीदी ने कहा आज देश सहित पुरे विश्व की जो लॉ एण्ड ऑर्डर है वो प्रैक्टिकल में कहां तक आ रहे हैं। दिन प्रतिदिन ये हालतें और खराब होनी है। हम सभी की भी यही ईच्छा है सारे विश्व में भारत की जिस संस्कृति का गायन है उस संस्कृति को हम फिर से स्थापन करें। फिर से हमारी सोसायटी वो वापस हेल्दी, वेल्दी और हैप्पी बन जाएं। हरेक व्यक्ति चाहे वो किसी भी प्रोफेशनल का हो सबकी यही कामना है कि हमारा जो समाज है वो सदा सुखी और समृद्ध रहे और आदर्श रहे। अगर समाज को सुधारना है तो पहले हमें स्वयं से प्रारंभ करना होगा। इसलिए हमें अपने जीवन को परिवर्तन करने की आवश्यकता है।
अपने में सारे लॉ को समेटे हुए है – बृजमोहन
संस्था के अतिरिक्त महासचिव व राजनीति प्रभाग के चेयरपर्सन राजयोगी बृजमोहन भाई ने कहा कि मानव ने समाज सुधार के लिए अनेकानेक नियम कानून बनाए हैं। जबकि आध्यात्मिक दुनिया में एक स्पिरिचुअल लॉ है जो कर्म के अनुसार है। लॉ ऑफ कर्मा अपने में सारे लॉ को समेटे हुए है। लॉ ऑफ कर्मा बहुत सिम्पल है जो करेगा सो पाएगा। जितना करेगा उतना पाएगा और जैसा करेगा वैसा पाएगा। यह स्पिरिचुअल लॉ है। अन्य जितने भी कानून हैं वो गलती करने की, जुर्म करने की, अपराध करने की सजा देते हैं लेकिन अगर कोई अच्छा काम करे तो उसका ईनाम नहीं देते। ऐसा कोई कोर्ट नहीं है जहां कोई अच्छा काम करने वाला जाए और कोर्ट कहे कि आपने बहुत अच्छा काम किया आपको ईनाम भी दिया जाता है। ये कानून वन साइडेड हैं जो गलती करने की सिर्फ सजा ही देते हैं। उन कानूनों को तोड़ा जा सकता है लेकिन स्प्रीलिचुअल कानून को तोड़ा नहीं जा सकता है।
न्याय भी वैल्यू के आधार से ही होता है – पुष्पा दीदी
न्यायविद प्रभाग की चेयरपर्सन राजयोगिनी पुष्पा दीदी ने कहा कि आज मानव की कमजोरी इच्छा और तृष्णा के रूप में बदल गई है तो मानव जीवन सुखी कैसे हो सकता है। आध्यात्मिकता हमें यही सिखाती है कि हमें जीवन को किस प्रकार से नियंत्रित करना है। मानवीय मूल्य और दैवी गुण उसका आधार है। देखा जाए तो न्याय भी वैल्यू के आधार से ही होता है।
धर्म और अध्यात्म के भेद को समझना आवश्यक – राठी
सभी अतिथियों का शब्दों से स्वागत करते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश व ज्यूरिष्ट प्रभाग के वाइस चेयरपर्सन न्यायमूर्ति बी.एल.राठी ने कहा आज के समाज में कोई भी सुखी नहीं है। आज समाज में जितने भी द्वंद चल रहे हैं ये सब मन की उपज है। यदि हम मन को सही समय पर हील नहीं करेंगे तो वही बीमारी मन से होते हुए पूरे शरीर में फैल जाती है। आज यही सारे विश्व का हाल है। मन को हम सिर्फ आध्यात्मिकता के द्वारा ही हील कर सकते हैं। हमें धर्म को भी समझना होगा और अध्यात्म को भी समझना होगा तभी हम इसमें अंतर कर पाएंगे।
इन्होंने भी दी शुभकामनाएं
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